Goa meri nazar se part 1 (Purva villa) : बरसों पहले “बॉबी मूवी” देखी थी ,उसमे रचा हुआ गोवा का संगीत और वहाँ का
माहौल जैसे मन में रच बस गया था ,तबसे दिल में था कि गोवा जाना ही है कभी न कभी ।फिर ज़िन्दगी, पन्ने दर पन्ने पलटती रही और बंजारा मन और उड़ते पंख भारत के अन्य जगह पर उड़ान भरते रहे ।पर हर बार वापस आते और इरादा पक्का होता कि गोवा अब नेक्स्ट । समुन्द्र मुझे वैसे ही बहुत आकर्षित करता है और हर बार लगता कि गोवा के beach जैसे पुकारते हैं ।दाना पानी लिखा हो और चाह हो तो पूरी होनी ही है ।इस साल सितम्बर में “गोवा “जाने का प्रोग्राम बन ही गया ।और पहुंच गए हम वहां ।गोवा का ख्याल आते ही क्या जहन में क्या आता है ?मस्त नमकीन हवा ,बेफिक्र माहौल ,बिंदास लोग और भी बहुत कुछ ।और एयरपोर्ट पर उतरते ही हवा ने स्वागत तो किया पर वह गर्म हवा का झोंका था कुछ अजब गजब लगा क्योंकि सोच में सिली गीली हुई हवा का महसूसना था ।खैर वहां से ठहरने के स्थान तक का सफर कार द्वारा शुरू हुआ। भूख से बुरा
हाल था, रास्ते में पड़ने वाले एक goan रेस्टोरेंट के सामने कार के ड्राइवर ने रोक दिया कि यहाँ आपको बेस्ट फ़ूड मिलेगा और यहाँ फिर शाम तक सब बन्द रहता है ।अंदर पहुंचे तो एक नार्मल से ढाबे के माहौल सा था तेज मछली की गंध फैली हुई थी । vegetarian होने के नाते यह मनमाफिक नही लगी पर जो शाकाहारी थाली आई उसमे सही गोअन टेस्ट था ,सब्ज़ी और करी में coconut और सही मसालों के साथ वह खाना बहुत पसंद आया ।आगे का सफर शुरू हुआ ।ठहरने का इंतज़ाम एक प्राइवेट विला फेमस ” अंजना बीच” के पास था नाम” पूर्वा विला “में था।
गोवा में रहना और वो भी विला में अपने परिवार के साथ बहुत ही रोमांचक और उत्साह भर रहा था । एयरपोर्ट से डेढ़ घण्टे की दूरी थी । और अब सड़क के दोनों तरफ हरियाली और रंगबिरंगे खूबसूरत घर जैसे जादू कर रहे थे ।जैसे जैसे आगे बढ़ रहे थे वैसे वैसे गोवा का बेफिक्र अंदाज़ दिख रहा था ।घने जंगल सा लताओं से घिरा हुआ हर नजारा और उनके बीच में से झांकते छोटे कच्चे पक्के नारियल के खपरैल वाले घर ,सड़क पर चलते गहरे रंग के लोग आम किसी भी समुद्र तट पर रहने वाले लोगों से पर मस्त खुद में ही डूबे हुए बिंदास ।एक झलक में अभी तो देखते हुए आगे बढ़ते हुए “पूर्वा विला “पहुँच गए ।उतरते ही विला के सामने छोटे से बने हुए सफ़ेद और नीले चर्च ने ध्यान अपनी और खींचा।
रास्ते में आते हुए भी कई जगह इस तरह के चर्च दिखाई दिए थे ।सफ़ेद लिबास और नीली सी धारी के आउटफिट में सजे हुए सुंदर परिधान से जो आँखों को तृप्त और मन को देखने से ही एक सकून सा देते प्रतीत होते हैं ।
गेट से एंट्री करते ही विला के चारो तरफ बने गार्डन ने और उसमे लगे पेड़ों ने बहुत ही अपनेपन से स्वागत किया । अंदर जाते ही कोजी लिविंग रूम ,डाइनिंग रूम,और खूब खुली बड़ी सी किचन घर से दूर पर घर का सा एहसास करवाने को पर्याप्त थे । फिर विला का साफ़ सुथरा स्विमिंग पूल और बेडरूम देखे तो बस जी दिल झूम के गा उठा “दिल कहे रुक जा रे रुक जा यही पर बस यहीं जो बात इस जगह है वो कहीं पर नही।
“holidays पर घूमने जाना और इस तरह से विला में रहना ,मानो सोने पर सुहागा ।अपना परिवार अपनी प्राइवेसी किसी छोटी मोटी सियासत के राजा का सा एहसास ।
सभी सुविधाएँ खाना बनाने के लिए कुक ,बड़े शानदार बाथरूम, वाशिंग मशीन और नीले पानी नीले अम्बर के तले स्विमिंग पूल चारो तरफ घिरे घने पेड़ों से घिरा कोयल ,मोर और पक्षियों की आवाज़ से चहकता हुआ यह विला जन्नत वाकई जन्नत ही लगा ।हाँ जन्नत है तो इन सुविधाओं की कीमत भी अच्छी खासी है 25000 rs per night :)पर जब भी ज़िन्दगी मौका दे तो यह मौका ले लेना चाहिए ।अंजना बीच से 15 मिनट की दूरी पर बना यह विला अपने अंदर आपको cozy feeling देता है तो beach या बाहर अन्य जगह जाने पर गोवा के अंदर बसे जीवन की भरपूर झलक भी दिखा देता है ।एक ही लेख में गोवा के बारे में लिखना गोवा के लिए भी नाइंसाफी होगी ।
यह जगह वाकई मदहोश करने वाली है और इसका हर पहलु धीरे धीरे घूंट भरते हुए पीने वाला जीने वाला है ।पांच दिन गोवा में बिताये अलग अलग रंग दिखाते हैं ।आज तो यहाँ पहुंचने का ठहरने के स्थान का पहला रंग और गोवा डायरी की भूमिका का पहला पन्ना आपकी नजर ।जल्दी ही मिलती हूँ अगले घूंट में जहां लहरों की सरगम है पर किनारे लिपटे हुए है एक नशीले धुंए में जो आकर्षित करते हैं मुझे अब भी इस गाने के साथ “देती है दिल दे ,बदले में दिल के __दे दे रे साहिबा प्यार में सौदा नही 😊
Vaise Resorts mein rukne ka apna hi ek anand hai…mujhe bhi yaad aa gaya Florida ka Resort…bas mazaa hi aa gaya tha…aapne jaisa jiwant varnan kiya hai lagta hai ab GOA mein GO GO karna hi padega…. Thanks itne acche sansmaran ko share karne ke liye… 🙂
शुक्रिया आपका इतने सुंदर कमेंट के लिए 🙂
आपका आँखों देखा दृश्य चित्रण पढ़ते पढ़ते ऐसा लगा जैसे गोवा ही पहुंच गए। शब्द चित्र खींचना तो कोई आपसे सीखे……..। एक बार तो ऐसा लगा की काश…… अगर मुझे पंख होते तो तत्क्षण मैं गोवा के लिए उड़ान भर उन दृश्यों को जीभर जीने के लिए वहाँ पहुँच जाता।
एक बात यह तो पक्की हैं की जब कभी भी गोवा जाना होगा तो आपका यह ” एक घूँट ” याद आयेगा ही आयेगा….. इस एक घूँट ने ” प्यास ” को और बढ़ाया ही हैं। 🙂
बहुत बहुत शुक्रिया अम्बरीश जी आपके कहे शब्दों ने तो मेरा होंसला बढ़ा दिया 🙂